श्रीया आर्ट पूर्व नाम अनुपमा आर्ट बच्चों में छिपी प्रतिभा को सामने लाने उन्हें नृत्य अभिनय की बारीकिया सिखाने का कार्य करती है साथ ही उन्हें मंच प्रदान करती है।
नाटय विधा बहुत ही सरल माध्यम है अपनी बात को जन जन तक पहुंचने का । चाहे वह किसी समस्या की बात हो या सामाजिक जन जागरण की बात हो।
सामाजिक विसंगतियां लोगों की पीड़ा को लेखन में ढाल कर हास्य व्यंग्य के माध्यम से अपनी बातों को सहजता से लोगों में हास्य रस का संचार करते हुये विषयों के प्रति हृदय में सुप्त उन संवेदनाओं को जागृत करती है जो समाज को एक अच्छी दिशा दे सकते हों।
श्रीया आर्ट हर साल नये प्रयोग कर किसी न किसी समस्या पर केंन्द्रित नाटय लेखन कर बच्चों को अभिनय के साथ सामाजिक संचेतना सिखाती है जिसमें बच्चे केवल अभिनय व नृत्य ही नहीं सिखते बल्कि उनमें भी आपसी मित्रवत भावना का विकास होता है जहां वे मिलकर किसी कार्य को पूरा करने की कोशिश करते हों। आपस में मिलकर भोजन करते है, एक दूसरे के कष्टों को समझते है। एक दूसरे का सहयोग करते है। जहां प्रशिक्षण की शुरूआत या सरस्वती की पूजन और वंदना से होती है। ॐ का गुंजार कर शारीरिक व्यायाम किया जाता है जिसका उद्देश्य है भक्ति के साथ शरीर को उस लायक बनाना कि जब आप मुंह से अपनी बात कर रहे हो शरीर भी उस बात को कह सके, शरीर को लचीला बनाना, स्वर साधना, योग ज्ञान से शरीर और मन में सतुंलन, संयम बनाना। शिविर में आंगिक, वाचिक नाटय सिद्वांत, रंगमंच का सौन्दर्यशास्त्र, स्वर का उपयोग, रंग गातियां, नाट्य सामग्री का निर्माण, उनका उपयोग आदि का अभ्यास कराया जाता है किसी विषय पर चर्चा तथा अभिनय करने की क्षमता का विकास कराया जाता है जिससे बच्चों में वैचारिक क्षमता, तर्क शक्ति, आत्मविश्वास पैदा होता है और व्यक्तित्व का निर्माण होता है। क्रियाओं का उपयोग सिर्फ नाट्य विद्या में ही नहीं होता बल्कि जीवन में हर पल इनकी जरूरत होती है।
श्रीया आर्ट नाट्य लेखन एवं उनका बेहतरीन ढंग से नृत्य एवं अभिनय के द्वारा प्रस्तुतिकरण के कारण राजधानीवासियों के हृदय में स्थान बनायें हुए है।
ग्रीष्म कालीन अवकाश में बालनृत्य नाट्य शिविर का आरंभ प्रति वर्ष 15 अप्रैल से किया जाता है।